NEELAM GUPTA

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लेखनी कहानी -09-Dec-2021शिकायत

कहते हो, बहुत शिकायतें करती हूं।
काश दिल खोल कर, दिल की जुबां सुनी होती।
एक बार तो ,मन की किताब  खोल लेते मेरी।
फिर शिकायतों की ,कोई गुंजाइश ही नहीं होती।

हमारे दिल में जो जज्बात होते हैं ।
हम अपना समझ, तुमको जता देते है।
लेकिन पकड़ अपना सिर, तुम तो गुस्सा हो।
परामर्श देने पर कतरा देते हो।

खुशबू तेरी मोहब्बत की ।
तेरी आवाज में महसूस करते हैं।
खुशी हो या गम्भीर हालात मेरे ।
तुमकों बता, राहत की उम्मीद करते है।

ये शिकायत नहीं मेरी, तुम पर मेरा हक है।
सनम हो मेरे तुम, तुम्हारे  पास अपना दिल रखते है।
मेरी रूह से बस तेरे, उतकृष्ट प्रेम की जोत जलती है।
निर्वाह मेरे जीवन का ,बेतहाशा तेरी चाहत की रखते हैं।

              


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5 Comments

Swati chourasia

10-Dec-2021 07:39 AM

Very beautiful 👌👌

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Sunanda Aswal

09-Dec-2021 10:06 PM

बेहतरीन प्रस्तुति 👏

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NEELAM GUPTA

09-Dec-2021 10:50 PM

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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Ravi Goyal

09-Dec-2021 06:12 PM

वाह बहुत खूबसूरत रचना 👌👌

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NEELAM GUPTA

09-Dec-2021 10:51 PM

आपका बहुत-बहुत आभार

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